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भारत में क्यों घटता जा रहा है औद्योगिक उत्पादन ?जानने के लिए पूरा पढ़ें!

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय( NSO) के तहत कुछ आंकड़े जारी की गई है। उसमें बताया गया था कि भारत में अक्टूबर महीने के सूचकांक में औद्योगिक उत्पादन में कमी देखने को मिला है। इसमें तकरीबन 4% की कमी आई है। यह कमी भारत मे अक्टूबर महीने के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक है।वह पिछले 26 महीने के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।                


भारत में क्यों घटता जा रहा है औद्योगिक उत्पादन ?जानने के लिए पूरा पढ़ें!                 
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक को हम आंकड़े जारी करने के तौर पर देख सकते हैं। इसका प्रयोग किसी भी इंडस्ट्री के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रदर्शन जानने के तौर पर किया जाता है। यह सूचकांक हर महीने अलग-अलग आंकड़े पेश करता है। इसके अलावा इसे औद्योगिक उत्पादन के स्तर का संकेतक के तौर पर इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा किसी भी अर्थव्यवस्था के कम समय मे कितना ज्यादा परिवर्तन हो रहा है उस परिवर्तन को जानने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।          
औद्योगिक उत्पाद सूचकांक किसके द्वारा जारी किया जाता है ? 


                    
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के द्वारा जारी किया जाता है।                       
     
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के द्वारा अक्टूबर 2022 में आंकड़े कितने जारी किए हैं ?                            
राष्ट्रीय सांख्यिकी के कार्यालय के द्वारा औद्योगिक उत्पादन में 4% की कमी देखने को मिला है।                

NSO के द्वारा किन-किन कैटेगरी में कमी देखने को मिला है।    
                                                          
1. विनिर्माण उत्पादन ( वेटेज :-77.6%)                

अक्टूबर महीने मे 5.6% की कमी देखने को मिला है। जो कि पिछले साल भी निर्माण में 3.3% की वृद्धि देखने को मिला था ।             
  
 2. पूंजीगत वस्तु उत्पादन :-   

यह कैटोगरी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में निवेश को दर्शाता है। यानी किसी भी देश की उद्योगपति अपने बिजनेस में कितना ज्यादा खर्च कर रहा है। जिससे उस देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि देखने को मिलती है। आंकड़े पर नजर डाले तो पूंजीगत वस्तु उत्पादन में अक्टूबर महीने में 2.3 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है।      
  
 3.टिकाऊ और गैर टिकाऊ वस्तुओं।   
                         
यह कैटेगरी हमें बताती है कि किसी भी देश के लोगों के द्वारा दैनिक आधार पर जो उपभोग किए जा रहे हैं। उसका उपभोग कितना अधिक और कितना कम हो रहा है। आंकड़े पर बात करें तो टिकाऊ वस्तुओं पर अक्टूबर महीने के आंकड़े में में 15.3 प्रतिशत का कमी देखने को मिला है।
            गैर टिकाऊ वस्तुओं की बात करें तो उसमें अक्टूबर महीने के आंकड़े में 13.4% की कमी हुआ है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में अक्टूबर महीने में खपत मांग में कमी देखने को मिला है। यह मांगे मुख्य तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में देखने को मिला है। 

औद्योगिक उत्पादन में कमी क्यों देखने को मिल रहा है कारण क्या है ?

 हम जानते हैं कि पिछले कुछ सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में तमाम अनिश्चितता देखने को मिला है। जैसे कोविड-19 महामारी, रूस -यूक्रेन युद्ध ,आदि और इन्हीं घटनाओं की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा मंदी का खतरा और ज्यादा मजबूत हो गया है। जाहिर तौर पर हम कह सकते हैं कि यह जहां पर मंदि आती है वहां पर मांगे और कमजोर होती चली जाती है। वैश्विक तौर पर मांगे के कमजोर होने का मतलब है कि घरेलू निर्यात में कमी देखने को मिलेगा ।NSO आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-अक्टूबर, 2022 की अवधि में खनन क्षेत्र का कुल उत्पादन चार प्रतिशत बढ़ा है जबकि एक साल पहले की समान अवधि में इसकी वृद्धि दर 20.4 प्रतिशत रही थी।

इस दौरान विनिर्माण क्षेत्र की कुल वृद्धि दर 5 प्रतिशत रही जो पिछले साल 21.8 प्रतिशत थी। वहीं बिजली उत्पादन 9.4 प्रतिशत बढ़ा है जो एक साल पहले की समान अवधि में 11.4 प्रतिशत बढ़ा था।    

सबसे अधिक उत्पादन का गिरावट किन क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है।   

वर्तमान समय में सबसे अधिक उत्पादन का गिरावट वस्त्र उद्योग, बिजली उपकरण और चमड़ा उद्योग में देखने को मिल रहा है। उद्योग ऐसे उद्योग हैं जिनमें निर्यातक के हिस्सेदारी ज्यादा होती है। निर्यात की कमी अक्टूबर महीने में 12.1% कमी देखने को मिली थी। पिछले 19 महीनों में निर्यात में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। लेकिन इसी साल अक्टूबर के महीने में निर्यात में कमी देखने को मिला है।
                              वहीं दूसरी ओर भारत के आयात में 10% की बढ़ोतरी हुई है। जाहिर तौर पर हम कह सकते हैं कि यह भारत के अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर स्थिति बनता जा रहा है। इसका प्रभाव भारत के अर्थव्यवस्था पर , विदेशी मुद्रा भंडार और भारत के रुपए पर देखने को मिल रहा है।     

क्रय प्रबंधकों के सूचकांक के आंकड़े(Purchasing Managers Index (PMI)   

यह एक सर्वेक्षण-आधारित प्रणाली है। क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) के दौरान विभिन्न संगठनों से कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें आउटपुट, नए ऑर्डर, व्यावसायिक अपेक्षाएँ और रोज़गार जैसे महत्त्वपूर्ण संकेतक शामिल होते हैं, साथ मे सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोगों से इन संकेतकों को रेट करने के लिये भी कहा जाता है।
PMI का उद्देश्य कंपनी के निर्णयकर्त्ताओ, विश्लेषकों और निवेशकों को वर्तमान एवं भविष्य की व्यावसायिक स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
यह विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की गणना अलग-अलग करता है, फिर एक समग्र सूचकांक भी बनाता है
  1. PMI को 0 से 100 तक के सूचकांक पर मापा जाता है।

  2. 50 से ऊपर का स्कोर विस्तार, जबकि इससे कम स्कोर कमी को दर्शाता है।

  3. 50 का स्कोर कोई बदलाव नहीं दिकता है।  
PMI का महत्व क्या है ?

यह अर्थव्यवस्था को एक विश्वसनीय आंकड़े प्रदान करता है। क्रय प्रबंधकों के सूचकांक दुनिया भर में व्यावसायिक गतिविधियों को सबसे अधिक ट्रैक करने वाले संकेतकों में से एक बन रहा है।
यह एक विश्वसनीय आंकड़ा प्रदान करता है कि एक अर्थव्यवस्था समग्र रूप से कैसे काम कर रहा है। विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में।   
 
PMI के October महीने का सूचकांक :-55.3%  
                                                                                
PMI के November महीने का सूचकांक :-55.7%  

 छोटे उद्योगों को बढ़ाने के लिए चुनौतियां :-

जो लोग छोटे छोटे उद्योगों से जुड़े होते हैं उनके पास अपर्याप्त कुशल कार्य बल नहीं होते हैं। कुशलकार्य बल के अभाव में छोटे उद्योगों को बढ़ाना बहुत बड़ी चुनौती हो जाती है। इसके अलावा इनके पास बुनियादी ढांचे की कमी होती है। जिस वजह से उद्योग का आकार बहुत छोटा होता है। इस तरह के उद्योग के लिए नीति बनाना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है। इस छोटे उद्योग के ऊपर रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर कम खर्च किया जाता है। जिससे इस तरह के उद्योगों का निर्माण एक स्थाई स्तर पर पहुंच जाता है। जिसके बाद उसे पूरे उत्पादन को बढ़ाना बहुत बड़ी चुनौती बन जाती है ।     

 निष्कर्ष :-

 बीते दिन मौद्रिक नीति समिति की एक बैठक आयोजन की गई थी।इस बैठक के दौरान आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के अलावा शक्तिकांत दास ने अपने बयान  में इसी तरह की आशंका जाहिर की थी।उन्होंने अपने बयान में कहा था कि जो वाह्य क्षेत्र है वैश्विक अनिश्चितताओं का अभाव देखने को मिल सकता है।  
                                                                       
 रेपो रेट में बढ़ोतरी का कारण :-

                                                                         

  RBI के द्वारा जो लगता रेपो रेट में बढ़ोतरी की जा रही है। इसमें जिम्मेदार कारण माना क्यों आरबीआई ने अप्रैल महीने से ही 225bps बढ़ोतरी की जा चुकी है इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण यह है। कि भारत में लगातार मुद्रास्फीति की दर लगातार बढ़ रही है। कुछ जानकारों के द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि जो रेपो रेट में बढ़ोतरी की जा रही है उसमें उत्पादन में बढ़ोतरी देखने को जरूर मिल सकता है।

Source 👉Indian Express Explained sectio      


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