संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council ) क्या है ?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ एक बड़ा संगठन है और इसके 6 प्रमुख अंग है और इन्हीं में से एक सुरक्षा परिषद एक प्रमुख अंग है। जिसे साल 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत स्थापना की गई। मौजूदा समय में इसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या कार्य करता है ?
यह संगठन दुनिया भर में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसके अलावा नए सदस्यों को जोड़ना और चार्टर में बदलाव सुरक्षा परिषद ही करता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष की शक्ति क्या होता है ?
जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष बनता है । प्रमुख तौर पर उनके पास कई व्यापक शक्तियां प्राप्त होता है जैसा की उनके पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बैठक आयोजित करने की शक्तियां अंतिम एजेंडा निर्धारण करने की शक्ति इन के अलावा एक विशेष शक्तियां यह भी प्राप्त होती है कि राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बैठक में जो भी चर्चा की जाएगा उस चर्चा के रिकॉर्ड पर अंतिम हस्ताक्षर सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को ही प्राप्त होता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का भूमिका :-
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तौर पर भारत विश्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है ।
1. अंतरराष्ट्रीय संगठन की संरचना में सुधार
2. आतंकवाद का मुद्दा
भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष एक महीने के लिए ही होगा। इसी 1 महीने के दौरान भारत दो बैठक आयोजित करेगा। पहला बैठक 14 दिसंबर को आयोजित किए जाएंगे। इस बैठक के दौरान मुख्य तौर पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए बहु पक्ष में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
भारत का दूसरा बैठक 15 दिसंबर को आयोजित करेगा। इस बैठक के दौरान आतंकवादी कृतियों के कारन अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर जो खतरा उत्पन्न हो रहा है। उस खतरे पर चर्चा करेगा।
इस बैठक का आयोजन इसलिए किया जा रहा है कि भारत के 2 पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान आतंकवाद को एक उपकरण के तौर पर प्रयोग करता जा रहा है। बीते कुछ बरसों में कई रिपोर्ट सामने आया है। अफगानिस्तान में ISI जो कि पाकिस्तान का खुफिया एजेंसी है। तालिबान द्वारा तालिबानी समर्थक से कई आतंकी संगठन विकसित हो रहा है। इसके अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जो पूरा क्षेत्र है उसमें ड्रग्स तस्करी और आतंकवाद का केंद्र बन गया है। इस पूरे विषय से निपटने के लिए भारत को एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है और भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यही एकीकृत अप्रोच प्रदान कर सकता है। मुख्य तौर पर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
G-20 क्या है और इसका बैठक क्यों किया जाता है?
G-20 को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सरकारी मंच के रूप में देख सकते हैं। जहां पर अलग-अलग देशों के प्रतिनिधि एक साथ आते हैं और उस मंच पर विश्व के वैश्विक अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं और जो समस्या पैदा हुई उन समस्या का हल ढूंढने की कोशिश करते हैं।
1990 के दशक में प्राथमिक तौर पर एशियाई वित्तीय संकट देखने को मिला था। और इसी वित्तीय संकट को देखकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर G-20 स्थापना का 1999 मे किया गया। जब पहली बार
1999 मे G-20 के सदस्य देशों के केंद्रीय बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्रियों के बीच पहली बैठक आयोजन की गया था। लेकिन इस बैठक के बाद भी कोई व्यापक काम शुरू नहीं किया गया।
लेकिन इसका शुरुआत औपचारिक तौर पर साल 2008 में शुरू किया गया। जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक वित्तीय संकट देखने को मिला और इस संकट के दौरान राजनीतिक स्तर पर महसूस किए जाने लगा कि हमें एक मंच की जरूरत है। जहां पर हमें आर्थिक मुद्दों पर हमें आसानी से चर्चा किए जा सके और इसी के बाद G-20 की बैठक लगातार आयोजन किए जाने लगा। 2008 के वित्तीय संकट के बाद यह तय किया गया कि जो G-20 देश हैं उनके सदस्य साल भर में एक बार बैठक आयोजित करेंगे। इसके बाद यह भी तय किया गया कि जी-20 देशों के गवर्नर और वित्तमंत्री वर्ष में दो बार बैठक का आयोजन करेंगे।
G-20 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तौर पर भारत के लिए क्या चुनौतियां है ?
भारत एक ऐसे समय में इन दोनों सदस्यों की अध्यक्षता प्राप्त की है जब दुनिया “3Cs "का सामना कर रहा है। इन “3Cs " मे कोविड, जलवायु और संघर्ष के मुद्दे शामिल है ।
हम जानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जब से कोविड-19 महामारी शुरू हुई है। तभी से मानव संसाधन का नुकसान देखने को मिल रहा है। बल्कि इस महामारी की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में शिक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी भारी असर देखने को मिला है।
जलवायु परिवर्तन के परिणाम :-
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जलवायु के कई प्रभाव देखने को मिला है लगातार बाढ़, तूफान, वनअग्नि जैसी घटनाओं को लगातार हो रही है। इसी वजह से लाखों लोगों की अपनी जान गवानी पड़ी रही है।
रूस -यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस यूक्रेन युद्ध देखने को मिल रहा है जिसकी वजह से दुनिया को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है इस युद्ध ने बड़े पैमाने पर मानवीय संकट को जन्म दिया है। जिसके वजह से खाद्य और तेल की कीमतों में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा इस पूरी युद्ध के वजह से लगातार कुछ पिछले समय में जो घटनाएं हो रही है उन घटनाओं की वजह से पश्चिमी देशों और रूस के बीच संघर्ष और तेजी से देखने को मिल रहा है। पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने G-20 के हिस्सा लेने से मना कर दिया था। जाहिर तौर पर भारत के लिए इस पूरी स्थिति में अपने अध्यक्षता को बनाए रखना और इन तमाम देशों को एक साथ लेकर चलना बड़ी चुनौति हो सकता है।
निष्कर्ष:-
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठनों की अध्यक्षता पाना भारत के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस दो अध्यक्षता की वजह से भारत की छवि और मजबूत होती जा रही है। इन्हीं की वजह से विकासशील देशों को सहायता मिल सकेगा और इनके परिणाम स्वरूप नीति निर्माण में “ग्लोबल साउथ" का भी प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। इस प्रतिनिधित्व के परिणाम स्वरूप दक्षिण - दक्षिण सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में इन दोनों संगठनों की अध्यक्षता भारत को एक अवसर देता है।
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