मिशन का उद्देश्य :-
- ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के लिए निर्यात के अवसर को निर्माण करना
- आयात जीवाश्म ईंधन ( डीजल और पेट्रोल) पर निर्भरता कम करना
- ऊर्जा क्षेत्र पर डेकार्बोनाइजेशन करना
- स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास करना
- अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में ईंधन देना
- इलेक्ट्रिसिटी नामक एक विद्युत प्रक्रिया
- इलेक्ट्रोलाइज़र उत्पादन का स्थानीयकरण
साल 2030 तक भारत में लगभग 125 गीगावाट(GW) की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को उत्पादन करने के साथ- ही - साथ प्रतिवर्ष कम-से -कम 5 मिलियन मीट्रिक टन(MMT) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास करना।
बता दे की इसके तहत कुल 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक का ख़र्च और 6 लाख नौकरियाँ देने की अपेक्षित की जा रही है।
इसके अतिरिक्त इसके परिणामस्वरूप जीवाश्म ईंधन(डीज़ल और पेट्रोल )के आयात में लगभग 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कमी के साथ-साथ वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 मीट्रिक टन की कमी देखने को मिलेगा।
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन महत्त्व क्या है :-
भारत को ग्रीन हाइड्रोजन एक स्वच्छ ऊर्जा की दिशा के ओर ले जा सकता है और साथ ही यह देश की जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में भी मददगार हो सकता है।
साल 2005 में पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत अपनी अर्थव्यवस्था की स्तर से साल 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है।
इससे भारत को जीवाश्म ईंधन( डीजल और पेट्रोल) पर अपनी आयात निर्भरता को कम करने की उम्मीद जाहिर की है।
इलेक्ट्रोलाइज़र उत्पादन का स्थानीयकरण के तहत और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं के विकास से भारत में लगभग 15-20 बिलियन डॉलर का एक नया ग्रीन प्रौद्योगिकी बाज़ार विकसित किया जा सकता है और हज़ारों की संख्या में नौकरियों मिलने की संभावना बढ़ सकती है।
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की खपत:-
भारत एक साल में उर्वरक और रिफाइनरियों सहित औद्योगिक क्षेत्रों में अमोनिया और मेथनॉल के उत्पादन प्रतिवर्ष लगभग 7 मिलियन टन हाइड्रोजन की खपत प्रतिवर्ष कर रहा है।
दिन-ब-दिन उद्योग की बढ़ती मांगे तथा परिवहन एवं बिजली क्षेत्रों के विस्तार के कारण यह साल 2050 तक बढ़कर 30 मिलियन टन तक हो सकता है।
हरित हाइड्रोजन की क्षमता:-
हरित हाइड्रोजन के उत्पादन भारत के भौगोलिक स्थिति अनुकूल होने के साथ-साथ धूप और हवा की प्रचुर उपलब्धता बढ़ सकती है
हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को वैसे क्षेत्रों में प्रोत्साहित करना है जिन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विद्युतीकरण संभव नहीं हो सकता है।
इनमें से कुछ उद्योग लंबी दूरी की परिवहन के साधन है और कुछ औद्योगिक तथा विद्युत क्षेत्र की उच्च भंडारण क्षमता वाले उपकरण भी शामिल किए गए है।
इनमे कुछ उच्च मूल्य वाले हरित उत्पादन तथा इंजीनियरिंग में क्रय एवं निर्माण सेवाओं के निर्यात के लिये क्षेत्रीय केंद्र का विकास उद्योग के शुरुआती चरणों के कारण की संभव है।
इससे संबंधित चुनौतियाँ क्या है ?
विश्व में हरित हाइड्रोजन का विकास अभी भी शुरुआती अवस्था में है लेकिन भारत में इसे एक प्रमुख उत्पादक का लक्ष्य निर्धारित हो सकता है बल्कि इन सभी मध्यस्थ कदमों को प्रस्तुत करने हेतु आवश्यक बुनियादी ढांचे नहीं है।
हाइड्रोजन का व्यावसायिक रूप से उपयोग करने के लिये उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से हरित हाइड्रोजन उत्पादन की आर्थिक स्थिरता हो सकती है।
परिवहन ईंधन ( डीजल & पेट्रोल )शृंखला के लिये प्रति मील के आधार पर पारंपरिक ईंधन और प्रौद्योगिकियों के साथ ही हाइड्रोजन को लागत में कमी होनी चाहिये
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन स्टॉक्स
भारत के टॉप ग्रीन हाइड्रोजन स्टॉक कंपनी नवीनतम ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र के परिणाम देखें ।
FAQ 👉green hydrogen policy in India
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी?
भारत सरकार के द्वारा पिछले साल फरवरी 2022 में ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी की घोषणा की गई थी। जिसके तहत हाइड्रोजन उत्पादन में कम कार्बनिक उत्सर्जन वाली तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दी जा सके इस नीति के तहत केंद्र सरकार ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया गैस की ढुलाई शुल्क को 20 वर्ष के लिए माफ करने का फैसला किया था ।
हरित हाइड्रोजन की कीमत क्या हो सकती है।
वर्तमान समय में ग्रीन हाइड्रोजन पूरी दुनिया के लिए इसकी कीमत की एक चुनौती बन सकती है वर्तमान समय में इसकी कीमत लगभग 340 से 400 प्रति किलो है वहीं भारत में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन साल 2030 तक इसकी कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन मिशन?
इस मिशन के तहत केंद्र सरकार को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके अवयवों को उत्पादन और निर्यात का केंद्र बनाना चाहती है। ऐसा होने पर आयातित जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता कम हो सकती है साथ ही केंद्र का लक्ष्य 2070 तक शून्य उत्सर्जन कार्बन का लक्ष्य हासिल करने का भी है।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू करने का उद्देश्य क्या हो सकता है ?
साल 2021 में 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 'राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन' का शुभारंभ किया गया था । इसका उद्देश्य सरकार के द्वारा अपने जलवायु लक्ष्यों का पूरा करने एवं भारत को हरित हाइड्रोजन केंद्र बनाने में सहायता करना है।
source :👉Indian Express Explained section
इन्हें भी पढ़ें 👉कैसे काम करते हैं Electric car और कैसे चार्ज होती है इनकी बैटरी?साल 2023 में लॉन्च होने वाला इलेक्ट्रिक कार कौन से है?
0 टिप्पणियाँ